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2023 निर्जला एकादशी | Nirjala Ekadashi Vrat Vidhi & Katha
2022 निर्जला एकादशी – Nirjala Ekadashi Vrat Vidhi & Katha – 2022 Nirjala Ekadashi Kab Hai
हिन्दू धर्म में निर्जला एकादशी के पावन दिन का एक विशेष महत्व है| यह पवित्र दिन हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ माह (इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार मई या जून) के शुक्लपक्ष के ग्यारहवे दिन एकादशी आती है। निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी व् पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
निर्जला एकादशी – Nirjala Ekadashi
विष्णु पुराण के अनुसार एकादशी का दिन भगवान् विष्णु का एक स्वरूप है| एकादशी के दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है| विष्णु पुराण में यह भी उल्लेख है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से भगवान् विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और फलस्वरूप भक्त पापों से मुक्त हो भक्त लम्बी आयु, सुख, समृद्धि प्राप्त करते है और अंत में इस संसार के सभी सुखो को भोग कर भगवान् विष्णु के चरणों में वैकुण्ठ धाम को प्राप्त करते है|
जो भक्त एकादशी व्रत का पालन करते है उन्हें लेने यमदूत नहीं आते है स्वयं भगवान् विष्णु के दूत उन्हें वैकुण्ठ ले जाते हैं|
निर्जला एकादशी तिथि – 2022 Nirjala Ekadashi Kab Hai
2022 निर्जला एकादशी व्रत | शुक्रवार, 10 जून 2022
निर्जला एकादशी व्रत पारण समय
निर्जला एकादशी व्रत का पारण का समय होता है और इसी के अनुसार ही व्रती को पारण करना चाहिए| 2022 निर्जला एकादशी व्रत का पारण 11 जून 2022, दिन शनिवार की सुबह 5:22 से 08:09 तक है|
निर्जला एकादशी करने से क्या फल मिलता है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 24 एकादशी आती है इनमे से निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व है। क्योंकि जैसा की नाम से ही पता चलता है कि इस व्रत को करने वाले व्रती को एक दिन बिना पानी पिए रहना होता है, भीषण गर्मी वाले मौसम में बिना पानी पिए रहना और व्रत का पालन करना कठिन माना जाता है|
ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सालभर की सभी 24 एकादशियों के व्रत का फल मिलता है| निर्जला एकादशी को सबसे अधिक फलदायक और पुण्य देने वाला भी माना जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से जातको की कुंडली के सभी दोष मिट जाते हैं|
इस व्रत करने को करने से व्यक्ति जन्म – मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है| इस संसार के सभी सुखो को भोग कर मृत्यु के बाद सीधे वैकुंठ को जाता है|
निर्जला एकादशी व्रत कथा – Nirjala Ekadashi Vrat Katha
निर्जला एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है?
निर्जला एकादशी को भीमा एकादशी, भीमसेनी एकादशी और पांडव एकादशी भी कहा जाता है| ब्रह्म वैवर्त पुराण में निर्जला एकादशी व्रत के पीछे की कथा का वर्णन किया गया है। जो इस प्रकार है:-
महाभारत काल में पांडव बंधुओ में दूसरे भाई महाबली भीम को भोजन से विशेष प्रेम था और वह बहुत ज्यादा भोजन किया करते थे| वह एकादशी व्रत का पालन कर भगवान् विष्णु को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते थे लेकिन वह अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं रख पाते थे| अपनी इस समस्या के निवारण के लिए उन्होंने ऋषि व्यास से विनती की तो ऋषि ने उन्हें निर्जला एकादशी का पालन करने की सलाह दी, और उन्होंने बताया की निर्जला एकादशी का व्रत का पालन करके सभी 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है| भीम ने इस व्रत को कर भगवान् का आशीर्वाद प्राप्त किया इसलिए इसे भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी इत्यादि नामो से भी जाना जाता है|
निर्जला एकादशी व्रत कैसे करे? – Nirjala Ekadashi Vrat Vidhi
एकादशी पूजा भगवान् विष्णु को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है, इस दिन भगवान् विष्णु की पूजा की जाती है, जिन भक्तो के पास शालिग्राम होता है वो भगवान् शालिग्राम की पूजा करते है|
– व्रत के दिन सुबह सूर्य उदय तक स्नान कर लेना चाहिए|
– घर के मंदिर में भगवान विष्णु के सामने निर्जला एकादशी व्रत का संकल्प करना चाहिए|
– भगवान् का पंचामृत पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करते है|
– पंचामृत से अभिषेक के पश्चात भगवान् को गंगा जल से स्नान कराया जाता है|
– स्नान के बाद वस्त्र, फल, फूल, दूर्वा व् तुलसीदल अर्पित किए जाते है|
– भगवान को समक्ष मानकर विष्णु सहत्रनाम का पाठ व् विष्णु जी की आरती की जाती हैं|
– आरती के बाद भगवान् को शरबत का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में प्यासे लोगों को शरबत पिलाना चाहिए| प्यासे व्यक्ति को पानी पिलाना से पुण्य मिलता और विशेष रूप से इस दिन ऐसा करने से भगवान् के आशीर्वाद से भक्तों के मन की इच्छाऍ पूरी होती है|
– निर्जला एकादशी पर ब्राह्मणो को और मंदिरो में वस्त्र, खाना, धन आदि का दान करने से भी पुण्य मिलता है|
– संध्या के समय ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 108 बार जप कर भगवान् की आरती व् भोग लगाना चाहिए|
– एकादशी की रात्रि भक्त पूरी रात जागकर भगवान् का भजन व् ध्यान करते हैं|
– एकादशी के पारण समयानुसार, भगवान् की पूजा के बाद व्रत का पारण करना चाहिए|
– पूरे व्रत के दौरान अपने शरीर, घर की साफ़-सफाई और ह्रदय व् भावनाओ की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए|
निर्जला व्रत में क्या खाना चाहिए?
निर्जला एकादशी पर सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक उपवास रखा जाता है| निर्जला एकादशी से एक दिन पहले भक्त पूरा दिन व्रत रख कर शाम की पूजा अर्चना के बाद केवल एक ही बार भोजन करते है जिसमे चावल नहीं खाते है| इसके बाद भक्त किसी भी तरह का खाना पीना नहीं लेते है|
पूजा के समय आचमन शुद्धि के लिए पानी की कुछ बुँदे भक्त पी सकते है। इसके बाद किसी भी तरह का खाना पीना नहीं खा सकते है|